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Showing posts from July, 2021

सुना है तुम्हें मैनें कई बार अपनी आँखों से भी !!

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सुना है तुम्हें मैनें कई बार अपनी आँखों से भी गिरती हैं पलकें मेरी, तुम्हें सोचते हुये जब भी और कानों ने मेरे कई बार तुम्हें..........देखा भी है  सरसराते हैं तुम्हारे होंठ कानों के पास मेरे जब भी मिट जाता है अंतर..........देखनें और सुननें का जब  शोर मचाती ख़ामोशिया,कर देती हैं तब इत्मीनान भी  मैं देख कर छू लूँ .......या छू कर फिर देखूँ तुम्हें  सारा आलम तुम सा है अंदर भी और बाहर भी न कहूँ कुछ भी.......समझते हो हाले-दिल फिर भी करते हो कैसे,करते हो क्यूँ,गजब करते हो तुम भी

किसी भी आयु में किये जाने वाले प्रेम की भी होती है एक आयु !!

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किसी भी आयु में  किये जाने वाले प्रेम  की भी होती है एक आयु  मिलन,विछोह,संवेदना आकुलता,विकलता आदि  जी सकता है सारे भाव  हर प्रेमी किसी भी आयु में  किये जाने वाले प्रेम में  स्नेह,सानिध्य अनुराग,समर्पण  ये सारे अव्यक्त भाव  बहते रहते हैं उस प्रेम की अन्तिम आयु तक क्योंकि आयु तो मनुष्य की होती है  पर स्नेह,सानिध्य अनुराग,समर्पण  मिलन,विछोह,संवेदना और प्रेम तो भाव है ना ?

बहुत कुछ जोड़ सकता है किसी को किसी से......

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बहुत कुछ जोड़ सकता है  किसी को किसी से...... धूप भी, बारिश भी हवायें भी, आसमान भी सूरज का ढलना और उगना  पहाड़ों पर संग टहलना भी  . . .  सूरज का आना बिस्तर पे कमरे में चमकना चाँद का  उड़ाना सिगरेट के छल्ले संग  और बीयर की दूकान भी बहुत कुछ जोड़ सकता है  किसी को किसी से.......  एक ही थाली में खिलाना-खाना  नींबू का अचार,गोभी के पराठे और बनारसी पान भी मांझे से लगी ऊँची उड़ती पतंग  वो छत वाला मकान भी बहुत कुछ जोड़ सकता है  किसी को किसी से.......  देवी का मंदिर अरदास गुरूद्वारे की चर्च की बेल और  मस्जिद की अजान भी . . . गीत भी, गज़ल भी सुर भी, तान भी  मीर के शेर और ग़ालिब का दीवान भी  बहुत कुछ जोड़ सकता है  किसी को किसी से...... प्रेम करना भी  और प्रेम जताना भी !!

मौन !!

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  मौन मौन क्या है ? केवल चुप हो जाना ही मन नहीं होता। बल्कि मन और वाणी का शांत होना मौन है । मौन की अपनी अनुपम अभिव्यक्ति है । मौन की अपनी भाषा है। अपितु उनके तो कई रंग भी होते हैं। मन और वाणी दोनों से स्वयं को शांत कर लेना ही मौन है। किंतु यह करना अत्यंत ही कठिन होता है। जहाँ मन की गति अगाध है, असीमित है और अनियंत्रित भी है, वहां वाणी विराम थोड़ी देर मात्र के लिए ही सही कहा कोई दे पाता है ? अर्थात मन और वाणी का संयम ही तो मौन है। मौन में रहना स्वयं से परिचय का एक अच्छा अवसर होता है। कई बार हमारी चुप ही बड़े-बड़े मसले आसानी से हल कर देती है। यूँ ही नहीं कहा जाता कि मौन में बड़ी ताकत होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मौन रहने से हमारी शक्तियां संचित होती हैं। मौन से हमारा चित्त शुद्ध तथा शांत रहता है। यह हमें दया,क्षमा एवं अनुशासन सिखाता है तथा मौन से हमें आंतरिक शांति प्राप्त होती है। मौन से हमारी सारी इंद्रियां संयमित रहती हैं। चुप रहने से वाणी और वाणी के साथ खर्च होने वाली मस्तिष्क की जो ऊर्जा है वह संचित होती रहती है। ज्ञान-विज्ञान, धर्म-आध्यात्म, कला-संस्कृति आदि...

आप जरूरी हैं !!

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  आप जरूरी हैं !! जीने की तमन्ना रखना और जीने के बीच में जो है, वह आप हैं । इसीलिए आप जरूरी हैं !!   जो कट गई वह जिंदगी नहीं जीनी है, बल्कि जो आपने वास्तव में जी है असल में वही जिंदगी, जिंदगी है। इसीलिए आप जरूरी है !!   जरूरी है परिवार के लिए, जरूरी है समाज के लिए और जरूरी है प्रकृति के लिए भी । इसी लिए सबसे पहले आपको खुद को प्यार करना होगा । जेनिफर लोपेज जो स्वयं एक बड़ी अभिनेत्री एवं गायिका है उनका भी यही कहना है ।  ऐट रिजन्स योर लाइफ मैटर्स के लेखक जॉन हैरिक ने अपनी पुस्तक में कहा है कि “ शाश्वत कुछ भी नहीं है अंधेरे दिनों का अंत होगा आपके संघर्षों से कहीं ज्यादा स्थाई यह जीवन है इसलिए विश्वास रखिए कि अगले दिन का सूरज एक नई शुरुआत लेकर आएगा । “   हर व्यक्ति का इस संसार में आने का एक उद्देश्य होता है। आपको वह उद्देश्य पहचानना है। स्वयं की उपयोगिता इस संसार में समझने के बाद उस हेतु आपको स्वयं को सक्षम एवं काबिल बनाना होगा। आप समाज की एक छोटी इकाई हो सकते हैं। किंतु महत्वपूर्ण है। इसीलिए आप जरूरी हैं !!   सार...