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लोग होते हैं #अच्छे मगर क्या इतने ?

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टुकड़े-टुकड़े होना और अन्दर कुछ टूटना भी  शिक़ायते हैं बहुत, है पर मोहब्बत भी  बरी करनें से उसके हाँ कुछ राहत तो है  कि दवा भी है वही और मेरा दर्द भी  लोग होते हैं अच्छे मगर क्या इतने ? कि जी रहा वो अपनें हिस्से का और  मेरी लकीरों के हिस्से का भी

#सृष्टि की रचना का आधार

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अच्छे को अच्छे लोग नहीं मिलते  और बुरे लोगों को केवल बुरे  सम और विषम का होना ही  हैं सृष्टि की रचना का आधार  क्योंकि सब अच्छे, अच्छे नहीं होते  और सब बुरे लोग नहीं होते बुरे

#वह सोचता है मुझे !!

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वह सोचता है मुझे और फिर सोचता रहता है  यूँ सिलसिला मोहब्बत का चलता ही रहता है  ना है हमारी और मुसलसल उसकी हाँ रहती है  क्यूँ मोहब्बत में हर बार सब एक तरफा ही रहता है  वह चलेगा अगर तो पहुंच ही जाएगा हम तक  सफर मगर अपना क्यों कभी खत्म नहीं होता है  मोहब्बत हुई जिससे वह मिलकर भी मिला नहीं  और जो मिला उससे अब उम्र भर का राब्ता है  मोहब्बत लकीरों का दो-तरफा ऐसा खेल है  मलाल उसी का रहता है जो नहीं मिलता है

चुप सा दिल, #उसकी_सांसें

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उसे याद बहुत किया और  उसकी याद भी बहुत आयी   याद आया वो बाद में  पहले उसकी याद आयी  ठहरी सी उसे सोचती आँखें,  चुप सा दिल, उसकी सांसें जैसे तसव्वुर उसका ही और उसकी ही तन्हाई..... 

#वो

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वो मेरी आंखों में रहे  कि उसे मेरा होना नहीं है  वो मेरे दिल में रहे  कि बिन उसके अब दिल  धड़कना नहीं है  वह रहे मेरी उम्मीदों में कि मेरा  उसके बिन कुछ होना नहीं है  आशाओं की सीढ़ी ही तो  खुशियों के संसार तक जाती है  मैं देखूं चेहरा उसका और देखती रहूँ कि बिन उसके मुझे अब रहना नहीं है

#रास्ते.....

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हम सफर के हैं  चल रहे हैं मुसलसल  कहीं कम कहीं ज्यादा  पर बढ़ रहे हैं मुसलसल  ठहरते नहीं हैं कभी भी हम  बस मंजिल का पता देते हैं बदल  दूर............बहुत दूर हमें होता है जाना संग हैं अपने ये आसमान और ये बादल  हम दिखाते नहीं है दुनिया को  पर देखते रहते हैं दुनिया सारी  सुनिए हम हैं रास्ते.......आपके रास्ते  हैं काम ही हमारा चल-चला चल-चल

श्रेष्ठतम् कृत्य !!

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काव्य सृजन संसार के  श्रेष्ठतम् कृत्यों में से एक है  फिर चाहे वह किसी भी  भाषा में हो ।