#वह सोचता है मुझे !!

वह सोचता है मुझे और फिर सोचता रहता है 
यूँ सिलसिला मोहब्बत का चलता ही रहता है 
ना है हमारी और मुसलसल उसकी हाँ रहती है 
क्यूँ मोहब्बत में हर बार सब एक तरफा ही रहता है 

वह चलेगा अगर तो पहुंच ही जाएगा हम तक 
सफर मगर अपना क्यों कभी खत्म नहीं होता है 

मोहब्बत हुई जिससे वह मिलकर भी मिला नहीं 
और जो मिला उससे अब उम्र भर का राब्ता है 
मोहब्बत लकीरों का दो-तरफा ऐसा खेल है 
मलाल उसी का रहता है जो नहीं मिलता है

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