तुम चले आओ कि......

तुम चले आओ कि...... रात गहरी है और बड़ी भी तुम चले आओ........ कि हम तन्हा हैं और अधूरे भी तुम चले आओ कि....... जिस्म खाली है पर तुम उसमें हो भी तुम चले आओ कि...... भूलना तुमको मुश्किल है और मुश्किलें हैं तुम्हें याद करनें में भी तुम चले आओ कि........ ये दुनिया सुन्दर है पर ज़रूरी है तुम्हारा इसमें होना भी !!! . . . तुम चले आओ कि....... हम अब हैं भी और नहीं भी !!!