तुम भी आ जाओ बन के क़ायनात इक रात के लिए !!
हमनें पाली है ख़ुमारी
इक बात के लिए
तुम भी आ जाओ बन के
क़ायनात इक रात के लिए
जंग लड़ती हूँ मै
खुद से तुम्हारे लिए
हाँ नहीं तो ना भी मत करना,
मेरी ज़ात के लिए
मैं इरादा अपना बदलूँ कैसे,
मेरे सामनें तुम हो
कोई और होता तो मैं सोचती भी,
नहीं सोच सकती इस बात के लिए
मुकम्मल करके मोहब्बत अपनी,
मैं तुम्हे खोना नहीं चाहती
तुमको रखा है मैंनें ज़िन्दगी में अपनी,
इबादात के लिए
रूह में तेरी बस कर सदियाँ
निभा जानी हैं हमको
उतर जाओ मुझ में मेरे बन कर,
मेरे इस जज़्बात के लिए
सब कहते हैं मुझ से मगर
तुम क्यूँ नहीं कहते
गुज़र रहा है वक़्त आ जाओ
इक़ बार मुलाक़ात के लिए
बहुत खूबसूरत एहसास
ReplyDeleteसही !!
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