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Showing posts from May, 2021

किरदार !!

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एक  ही  हैं  हम, मगर  कई  क़िरदार  में जीते हैं कभी   धीमें   तो   कभी   रफ़्तार  में   जीते   हैं ज़िंदगी  भी   रोज़  नये   तेवर   दिखाती  है  हमें कभी   नफ़रत   तो    कभी   प्यार   में   जीते  हैं कभी खुशियों को जीकर,कभी आँसुओं को पी कर कभी   पतझड़   तो   कभी.....बहार   में   जीते   हैं बचपन के बाद जवानी और फ़िर बुढ़ापा आ ही जाता है मृत्यु अटल है, मगर फिर भी हम   हर त्यौहार में जीते हैं तकदीरों  का  लिखा  भला  कहाँ  पलट  पाता है  कोई इसी को पलटनें के प्रयास कर, हर बार में हम जीते हैं बदलना चाहते हैं दुनिया को,लेकिन खुद को नहीं बदलते खुद को सही समझते हैं......और  इसी ख़ुमार में  जीते हैं

किसी भी आयु में किये जाने वाले प्रेम की भी होती है एक आयु !!

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किसी भी आयु में  किये जाने वाले प्रेम  की भी होती है एक आयु  मिलन,विछोह,संवेदना आकुलता,विकलता आदि  जी सकता है सारे भाव  हर प्रेमी किसी भी आयु में  किये जाने वाले प्रेम में  स्नेह,सानिध्य अनुराग,समर्पण  ये सारे अव्यक्त भाव  बहते रहते हैं उस प्रेम की अन्तिम आयु तक क्योंकि आयु तो मनुष्य की होती है  पर स्नेह,सानिध्य अनुराग,समर्पण  मिलन,विछोह,संवेदना और प्रेम तो भाव है ना ?

बारिश की बूँदें या बूँदों की बारिश !!

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बारिश की बूँदें या बूँदों की बारिश जो थी नदी, अब समन्दर हो रहा है बगीचे के वास्ते माली या माली के वास्ते ही बगीचा हाक़िमें-वक्त ये................अच्छा नहीं हो रहा है गुज़री मोहब्बत या मोहब्बत का गुज़र जाना इत्तेफाक से कई लोगों के साथ दोनों हो रहा है सवालों के जवाब दूँ या सवालों से जवाब माँगू ये जो हो रहा है, न जानें क्या हो रहा है........ बरसों पुरानी पहचान या पहचान का बरसों पुराना हो जाना दो मुख़्तलिफ़ बातें हैं क्या........आपको क्या लग रहा है ?

क्योंकि प्रेम का कोई जेंडर नहीं होता....!!!!

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 सोचते हुए सोचना तुम्हें  और होना मुस्कान मेरे चेहरे पर  तुम्हारी अनुपस्थिति में भी  उपस्थित होना तुम्हारा   संग मेरे खेलना खेल बच्चों की तरह  घूमना मेरा संग तुम्हारे हवा की तरह  जीना हर रिश्ता हर पल साथ तुम्हारे  कभी बन बच्चा कभी सहेली, जैसे  कभी दो प्रेमी बैठे संग नदी किनारे  सपनों का सागर  आसमान से बड़ी आशायें  कल्पनाओं का अंबार और  नर्म घास की बड़ी सी चादर पसार  मैं खेलती हूं रंगों से संग तुम्हारे  रंग जो लाल है और तासीर जिसकी प्रेम है क्योंकि प्रेम का कोई  जेंडर नहीं होता....!!!!

ना उम्मीदी हल नहीं विकल्प है !!

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सोते रहे देर तक हम मिटाने को जलन आंखों की  मालूम ही ना चला यह दिल है  जो जल रहा था......... गठरी उम्मीदों की साथ ही थी  न जाने कहाँ कब छूट गई  मन था मेरा कि.........  उम्मीदों में ही पल रहा था  रखा ख्याल उम्र भर इसी का  किस को क्या अच्छा लगता है   फिर पूछने पर किसी के  कि अच्छा लगता है हमें क्या  बता न पाये हम चुप रह गये  और मन मचल रहा था....  बंद हों जब रास्ते सारे  तब भी होता है खुला एक रास्ता कहीं.....   ठहर गया है जब  सब कुछ सब जगह  गौर किया तो देखा  वक्त था जो बदल रहा था...... ना उम्मीदी हल नहीं विकल्प है  जो आज था वह कल है  और आज मेरा.........  कल होने को चल रहा था....

रहना हवाओं में और छू जाना मुझे...........बन कर हवा !!!

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बड़े सलीके, बड़े इत्मीनान, बड़े ख़ुलूस, बड़ी वफ़ा रखी है  सुनो मैंने तुम्हारे लिए दिल में अपने,अब भी जगह रखी है आते हो याद तुम अब भी...........हाँ यह सच है  बेदर्द दुनिया ने भी मगर कहाँ कोई कमी रखी है  बनकर रहना किसी का.....पर न हो पाना उसका  बेशर्त कुछ भी नहीं है और न ही कोई शर्त रखी है   आना जो अबकी शहर में मेरे तो बादल बन कर आ जाना तुम्हारे लिए इस मौसम की मैंने.....पहली बरसात रखी है रहना हवाओं में और छू जाना मुझे...........बन कर हवा ज़माने नें हवाओं पर नहीं अभी, कोई रोक-टोक रखी है

साथ मेरे चल पाओगे क्या ?

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मुसलसल यूँ ही याद आओगे क्या ? इस बार भी वैसे ही सताओगे क्या ? हमारे तुम हो और हम तुम्हारे हैं जब  फिर भी रस्में दुनियादारी निभाओगे क्या ? गुजरा है जो एक अरसा  तुम्हारे जाने और आने के बीच में  आओ बैठो पास मेरे  लम्हें वो संग फिर नहीं बिताओगे क्या ? हम चुप से नाम पर तुम्हारे कायम हैं  आज भी इस जहान में  सोचते हो क्या तुम  जहान को नाम मेरा बताओगे क्या ? जो थे हम संग तुम्हारे कभी  अब तो बिल्कुल भी वैसे नहीं हैं  यह बदले-बदले से जो हैं हम  साथ मेरे चल पाओगे क्या ?

किताब वाला इश्क !!

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एक दिन वो मेरे लिये इक किताब लाया था । किताब   नहीं  वो   इक   बात   लाया   था । सिलसिला ये वो था जो अभी शुरू हुआ था  । मेरे  लिए  वो सपनों की  सौगात  लाया था । पढ़ डाली वो किताब हमनें उसे सोचते हुये । वो संग किताब के, अपनें ख़्यालात लाया था । महसूस किया हाथों से,आँखो से पढ़ लिया । बिना  हुये  भी, रूबरू वो मेरे हो गया था ।

जीवन का यथार्थ

यही जीवन का यथाथ॔ है..... हर सम्बन्ध में निहित स्वाथ॔ है.... हर अर्जुन के पीछे एक पार्थ है 

यादें. ..... बचपन की ।

..... बहुत दूर निकल आये हैं हम अपने गांव से । अब तो हम बड़े आदमी हो गये हैं । शहर में हमारा एक मकान भी है. .... बड़ा सा । लेकिन अनाज खरीद कर खाते हैं ।