रहना हवाओं में और छू जाना मुझे...........बन कर हवा !!!
बड़े सलीके, बड़े इत्मीनान, बड़े ख़ुलूस, बड़ी वफ़ा रखी है
सुनो मैंने तुम्हारे लिए दिल में अपने,अब भी जगह रखी है
आते हो याद तुम अब भी...........हाँ यह सच है
बेदर्द दुनिया ने भी मगर कहाँ कोई कमी रखी है
बनकर रहना किसी का.....पर न हो पाना उसका
बेशर्त कुछ भी नहीं है और न ही कोई शर्त रखी है
आना जो अबकी शहर में मेरे तो बादल बन कर आ जाना
तुम्हारे लिए इस मौसम की मैंने.....पहली बरसात रखी है
रहना हवाओं में और छू जाना मुझे...........बन कर हवा
ज़माने नें हवाओं पर नहीं अभी, कोई रोक-टोक रखी है
Comments
Post a Comment