ना उम्मीदी हल नहीं विकल्प है !!

सोते रहे देर तक हम
मिटाने को जलन आंखों की 
मालूम ही ना चला यह दिल है 
जो जल रहा था.........

गठरी उम्मीदों की साथ ही थी 
न जाने कहाँ कब छूट गई 
मन था मेरा कि......... 
उम्मीदों में ही पल रहा था

 रखा ख्याल उम्र भर इसी का 
किस को क्या अच्छा लगता है  

फिर पूछने पर किसी के 
कि अच्छा लगता है हमें क्या 

बता न पाये हम चुप रह गये 
और मन मचल रहा था.... 

बंद हों जब रास्ते सारे 
तब भी होता है खुला
एक रास्ता कहीं.....
 
ठहर गया है जब 
सब कुछ सब जगह 

गौर किया तो देखा 
वक्त था जो बदल रहा था......

ना उम्मीदी हल नहीं विकल्प है 
जो आज था वह कल है 
और आज मेरा......... 
कल होने को चल रहा था....

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