https://www.facebook.com/DrAlka-Dubey-837469506653785/ मेरी अधूरी इच्छा हो तुम मिलकर भी मिले नहीं रह-रहकर हो जाते हो गुम क्योंकि, मेरी अधूरी इच्छा हो तुम प्रेम हो जाये अभिव्यक्त तो वह प्रेम नहीं रहता पूर्णता पाना है समाप्त हो जाना तुम रहो संग मेरे अव्यक्त ही क्योंकि, मेरी अधूरी इच्छा हो तुम नहीं हो पास मेरे मगर हो हर पल कभी आधे,कभी पूरे कभी स्वप्न,कभी विचार में हो तुम क्योंकि, मेरी अधूरी इच्छा हो तुम स्पर्श तुम्हारा है असम्भव सम्भवतः मेरी आत्मा हो तुम पुर्नजन्म तो होना है चलो,चलोगे क्या संग मेरे तुम क्योंकि, मेरी अधूरी इच्छा हो तुम आशाओं के रक्त से सींचती अपूर्ण संसार अपना शिराओं में बनकर लहू करो विचरण मुझमें तुम क्योंकि, मेरी अधूरी इच्छा हो तुम तकते हो चाँद मेरा तकती हूँ जो मैं हर रात तारों संग उजला आकाश आत्मीय सा आभास हो तुम क्योंकि, मेरी अधूरी इच्छा हो तुम व्याकुलता,आकुलता,अधीरता लुप्त हो रही है समय में रहना तुम्हारा स...